जब विद्युत संपत ने अपने म्युचुअल फंड वितरक से योजनाओं के बारे में पूछा तो उसने दो इक्विटी संबध्द बचत योजनाएं सुझाई।
जब संपत ने कारण पूछा तो एजेंट ने बताया कि ये योजनाएं जल्द ही लाभांश की घोषणा करने वाली हैं। सुन कर ऐसा लगता है मानो योजनाएं निवेशकों को बोनस दे रही हों। लेकिन, वास्तविकता तो इससे बिल्कुल भिन्न है।
संपत की तरह ही अधिकांश निवेशक म्युचुअल फंडों द्वारा दिए जाने वाले लाभांश को देख कर आकर्षित होते हैं। वे इस वास्तविकता को नहीं समझ पाते कि लाभांश वास्तव में उन्हीं के पैसे होते हैं।
वाइजइन्वेस्ट एडवाइजर्स के मुख्य कार्याधिकारी हेमंत रुस्तगी ने कहा कि केवल भोले-भाले निवेशक ही नहीं बल्कि म्युचुअल फंडों को समझने वाले निवेशक भी लाभांश के लालच में आकर उन योजनाओं को तरजीह देते हैं जो नियमित तौर पर लाभांश का भुगतान करती हैं।
उन्होंने कहा, 'निवेशकों का मानना होता है कि नियमित तौर पर लाभांशों की घोषणा करने वाले फंड बेहतर प्रदर्शन करने वाले होते हैं, और लाभांश देने की यही वजह होती है।' कंपनियों द्वारा शेयरों पर दिए जाने वाले लाभांश और म्युचुअल फंडों द्वारा यूनिटों पर की जाने वाली लाभांश की घोषणा में बड़ा अंतर है। जब कोई कंपनी अपने शेयर पर लाभांश देती है तो वह अपनी तिजोरी से देती है।
उदाहरण के लिए सीमेंस ने सोमवार को 2 रुपये के प्रत्येक इक्विटी शेयर पर 5 रुपये के लाभांश की घोषणा की थी। इसका मतलब हुआ कि निवेशकों को सीमेंस के प्रत्येक शेयर पर 5 रुपये अतिरिक्त मिलेंगे। लेकिन जब कोई म्युचुअल फंड योजना लाभांश घोषित करती है तो वह निवेशकों के पैसों का ही एक हिस्सा उन्हें वापस करती है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई 100 रुपये शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (जिसका फेस वैल्यू 10 रुपये होता है) वाली कोई कंपनी 50 प्रतिशत लाभांश की घोषणा करती है तो फंड प्रबंधक शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) में से 5 रुपये निकाल कर निवेशकों को देता है और इस प्रकार एनएवी घट कर 95 रुपये रह जाता है।
म्युचुअल फंड नया निवेश आकर्षित करने के लिए भी लाभांश की घोषणा करते हैं। हाल ही में रिलायंस विजन फंड और रिलायंस ग्रोथ फंड ने 10 रुपये फेस वैल्यू वाले प्रत्येक यूनिट पर 50 प्रतिशत लाभांश की घोषणा की थी। एसबीआई मैग्नम मल्टीप्लायर प्लस ने 70 फीसदी और बिड़ला सन लाइफ एडवांटेज फंड ने भी 75 प्रतिशत लाभांश की घोषणा हाल में की थी।
दूसरे शब्दों में कहें तो लाभांश की संख्या आकर्षक भले लगती हो लेकिन वास्तविकता यह है कि निवेशकों के अपने पैसे ही उन्हें वापस किए जाते हैं। उन निवेशकों के लिए इस लाभांश का कोई खास मतलब नहीं होता जो लंबी अवधि के लिए बचत करते हैं और अच्छी खासी रकम तैयार करना चाहते हैं।
लाभांश उन्हीं के लिए जरूरी होता है जो नियमित आय पाना चाहते हैं। इनमें रिटायर होने वाले लोग शामिल हैं जो कर्ज या हर महीने आय वाली योजना चाहते हैं। कर बचत योजना में लाभांश विकल्प का चयन और इक्विटी लिंक्ड बचत योजना भी अच्छी होती है क्योंकि इन स्कीमों में तीन सालों का लॉक इन पीरियड होता है।
Source : Media
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