शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों से तेजी का दौर चल रहा है। बहुत से निवेशक अब इक्विटी में उतरने की योजना बना रहे हैं, लेकिन जिन लोगों को इस बाजार की अच्छी जानकारी नहीं है, उनके लिए सीधे शेयरों में निवेश ठीक नहीं होगा। ऐसे लोग म्यूचुअल फंड का रास्ता अपना सकते हैं।
डेट या इक्विटी?
पिछले कुछ समय में बाजार में मजबूती आई है और आगे के लिए भी अच्छे संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में निवेशक इस बात को लेकर असमंजस में हैं किवे किस तरह के फंड में निवेश करें। क्या उन्हें बढि़या रिटर्न के लिए डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड चुनना चाहिए या फिर सुरक्षित निवेश के लिए डेट फंड के विकल्प तलाशने चाहिए। तेजी के बाजार में इक्विटी निवेश, निवेशकों को सबसे ज्यादा मुनाफा देता है। डेट फंड ब्याज दरों में गिरावट के दौर में बढि़या रिटर्न देते हैं। मुद्रास्फीति की दर फिर से चढ़ने के आसार बन रहे हैं, ऐसे में ब्याज दरों में और गिरावट आने की उम्मीद नहीं है।
डेट फंड में निवेश केवल तभी फायदेमंद है, जब निवेशक आर्थिक रिकवरी को लेकर कोई खास उम्मीदें नहीं रखता। अगर इक्विटी बाजार वास्तव में बढि़या रिटर्न देने की तैयारी कर रहे हैं, तो निश्चित तौर पर इक्विटी फंड अच्छा रिटर्न देने की संभावना रखते हैं।
मिड और स्मॉलकैप
रिटर्न और जोखिम का करीबी रिश्ता होता है। जिन निवेशकों की जोखिम सहने की क्षमता ज्यादा होती है वे पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा अच्छे डायवर्सिफिकेशन वाले फंड में लगा सकते हैं। स्मॉलकैप फंड पर भी गौर किया जा सकता है। आम तौर पर छोटी और मझोली कंपनियां बढि़या रिटर्न पैदा करने की क्षमता रखती हैं लेकिन इनमें जोखिम भी अधिक रहता है।
म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलियो
अच्छे रिटर्न के लिए निवेशकों को लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप के बीच संतुलन वाला म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए। ऐसा पोर्टफोलियो लार्जकैप इक्विटी की ओर ज्यादा झुका नहीं होना चाहिए और न ही ऐसे सेक्टर फंड पर केंद्रित होना चाहिए जिनमें अधिक मुनाफे के साथ उतार-चढ़ाव भी ज्यादा होता है उन्हें निश्चित रूप से मिडकैप और स्मॉल फंड में पैसा लगाना चाहिए। हालांकि, निवेश का अनुपात क्या और किस तरह होगा, यह निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता पर निर्भर करता है।
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