सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक, 60 साल की आयु वाले व्यक्ति को वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। हालांकि आयकर विभाग 65 साल से अधिक आयु के व्यक्ति को ही वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में शामिल करता है।
बैंक में सावधी जमा पर 60 साल से अधिक आयु के व्यक्ति को आम निवेशकों की तुलना में 0.5 से 1 फीसदी ज्यादा ब्याज दर का भुगतान किया जाता है। लेकिन 65 साल से नीचे के व्यक्ति को रिटर्न पर आयकर का भुगतान करना पड़ता है। इससे बैंकों की ओर से सावधी जमा पर मिलने वाले अतिरिक्त ब्याज का उन्हें फायदा नहीं मिल पाता है।
इसी तरह आयकर की धारा 80 डी के तहत वैसे बच्चों को जो अपने अभिभावकों का प्रीमियम (20,000 रुपये तक) का भुगतान करते हैं, उन्हें आयकर विभाग की ओर से छूट दी जाती है। लेकिन बीमा कंपनियों की ओर से 60 साल से अधिक आयु वाले व्यक्ति से महंगा प्रीमियम वसूला जाता है।
ऐसे में बच्चों को आयकर से मिलने वाली छूट का फायदा अभिभावकों के 65 साल की आयु के बाद ही मिल पाता है। वरिष्ठ नागरिकों की परिभाषा के चलते आयकर रिटर्न दाखिल करते समय भी वरिष्ठ नागरिकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार से यह अपेक्षा थी कि वह वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक समान परिभाषा तय करे।
हालांकि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में 60 से 65 आयु वर्ग के ज्यादातर करदाताओं का कहना है कि उन्हें वरिष्ठ नागरिकों के तहत किए जाने वाले निवेश का फायदा नहीं मिल पाता है। वित्त विशेषज्ञों का भी कहना है कि वरिष्ठ नागरिकों की आयु को लेकर जो विभिन्नता है, उससे समस्या होना लाजिमी है।
एसीई ग्रुप के सीईओ और प्रमाणित वित्तीय योजनाकार गौरव मशरूवाला का कहना है कि सरकारी जमा योजनाओं से मिलने वाली आय कर भुगतान में चला जाता है। ऐसे में निवेशकों का काफी कम मुनाफा मिल पाता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि वरिष्ठ नागरिकों को उनकी जमा पर कैसे ज्यादा लाभ मिल सकता है? सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्तियों के पास निवेश का बहुत कम विकल्प होता है। निवेश सलाहकारों का कहना है कि सरकारी जमा योजनाएं या बैंकों व डाकघरों में वरिष्ठ नागरिक जमा योजना अच्छा विकल्प हो सकता है।
निवेश सलाहकार डी. सुंदरराजन का कहना है कि निवेश पर 9 फीसदी की दर से जिस योजनाओं में ब्याज मिलता है, उसे अच्छा कहा जा सकता है। कुछ लोगों का कहना है कि फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट से सभी जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं हो पाता है।
ट्रांससेंड कंसल्टिंग के निदेशक कार्तिक जावेरी का कहना है कि मैं वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने की सलाह नहीं देता हूं। उनका तर्क है कि नियत आय में ज्यादा निवेश करना सेवानिवृत्त लोगों के लिए अच्छा नहीं होता है, क्योंकि ऐसे निवेश पर बहुत कम रिटर्न मिलता है।
इसके साथ ही इस तरह की आय से वे बढ़ती महंगाई दर को लंबे समय में झेलने में समर्थ नहीं होते हैं। उनका कहना है कि वरिष्ठ निवेशकों को भी कुछ जोखिम उठाना चाहिए और ज्यादा रिटर्न देने वाले इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना चाहिए। सेवानिवृत्ति का अर्थ है आपकी आय का घट जाना। ऐसे में यह जरूरी है कि सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहतर ढंग से निवेश करना चाहिए।
इसके साथ ही अचानक आने वाले खर्च को भी ध्यान में रखकर निवेश किया जाना चाहिए। निवेश सलाहकारों का कहना है कि 60 से 70 फीसदी निवेश सुरक्षित योजनाओं में करना चाहिए, ताकि वरिष्ठ नागरिकों को नियत आय मिलती रहे। इसके साथ ही शेष 30 से 40 फीसदी निवेश जोखिम वाली योजनाओं में किया जा सकता है।
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