Wednesday, October 28, 2009

बेहतर रिटर्न का जरिया है कॉरपोरेट एफडी

जब बैंक लगातार जमा दरें घटा रहे हैं, कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश के बेहतर विकल्प दिखाई देते हैं बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) लंबे समय से बचत का लोकप्रिय जरिया रहे हैं। पिछले साल तक बैंक, फिक्स्ड डिपॉजिट पर आकर्षक दरें ऑफर कर रहे थे। लेकिन, अब 1-3 साल के जमा पर ब्याज दर घटकर 6.5-7 फीसदी रह गई है। यह पिछले साल बैंकों द्वारा ऑफर की जा रही दरों के मुकाबले काफी कम है।जो निवेशक अपनी बचत पर बेहतर रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, उन्हें कंपनियों की फिक्स्ड डिपॉजिट (कॉरपोरेट डिपॉजिट) स्कीमों का फायदा उठाना चाहिए। पिछले साल कर्ज के संकट के चलते कई कंपनियों ने पूंजी की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीमें लॉन्च की थीं।


अधिकतर कंपनियों ने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट पर आकर्षक ब्याज दरें तय की थीं, जो समान अवधि के बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों की तुलना में ज्यादा थीं। फिर भी, किसी कंपनी की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में निवेश करने से पहले थोड़ी जांच-पड़ताल जरूरी है। इसके अलावा बेहतर रिटर्न के एवज में थोड़ा अधिक जोखिम भी बर्दाश्त करना होगा। बैंकों के एफडी से संबंधित नियम-कानून कॉरपोरेट डिपॉजिट पर लागू नहीं होते। कॉरपोरेट एफडी को सरकारी बीमा स्कीम की भी सुविधा हासिल नहीं है।
आपके काम को आसान बनाने के लिए दोनों स्कीमों से जुड़े मसलों की जांच-पड़ताल की है। कंपनी का फिक्स्ड डिपॉजिट क्या होता है? कॉरपोरेट एफडी बचत का नया जरिया नहीं है। लंबे समय से इसे नजरअंदाज किया गया है। लेकिन पिछले दो साल में तरलता की कमी और शेयर बाजार की हालात खराब होने के चलते छोटी-बड़ी कंपनियों को एफडी स्कीमें पेश करने को मजबूर होना पड़ा। टाटा मोटर्स, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई होम फाइनेंस, गोदरेज इंडस्ट्रीज, एक्जिम बैंक और हुडको जैसे बड़े वित्तीय संस्थान और कंपनियों ने आम लोगों से पैसा जुटाया। फर्क सिर्फ यह है कि कॉरपोरेट एफडी में आप अपना पैसा बैंक के पास नहीं बल्कि कंपनी के पास रखते हैं, जो जमा की अवधि के दौरान पूर्व निर्धारित दर पर आपके पैसे पर ब्याज चुकाने की पेशकश करती है।
बैंक के समान कॉरपोरेट एफडी की अवधि 1 से 7 साल की होती है। लेकिन, लंबी अवधि के बजाय छोटी अवधि यानी 1-3 साल के लिए कॉरपोरेट एफडी में निवेश करना बेहतर है। इससे जरूरत पड़ने पर निवेशक के पास दूसरी कंपनी के एफडी में जाने का विकल्प खुला रहता है। कंपनी के नियम के मुताबिक, कॉरपोरेट एफडी में समय से पहले निकासी की सुविधा भी होती है, लेकिन इसके लिए आपको थोड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। ब्याज के रूप में हासिल आय पर कर देना पड़ता है। हालांकि, किसी एक वित्त वर्ष में 5,000 रुपए तक की ब्याज आय पर स्त्रोत पर कर कटौती (टीडीसी) नहीं की जाती। एक से अधिक कंपनियों के एफडी में पैसा लगाकर कर के बोझ को कम किया जा सकता है।क्या ये बैंक एफडी की तरह सुरक्षित हैं?कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी की तरह सुरक्षित नहीं होते।

एक लाख रुपए तक के बैंक एफडी पर बीमा की सुरक्षा मिलती है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यह बीमा कवर उपलब्ध कराती है। कॉरपोरेट एफडी के मामले में इस तरह की कोई बीमा सुरक्षा उपलब्ध नहीं है। यही कारण है कि कॉरपोरेट एफडी पर ब्याज की दर अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बड़ी कंपनियों खासकर बड़े और प्रतिष्ठित व्यापारिक समूहों की डिपॉजिट स्कीम में डिफॉल्ट शायद ही कभी देखने को मिलता है। मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के डिफॉल्ट करने पर मामला कंपनी लॉ बोर्ड के पास चला जाता है, जबकि वित्त क्षेत्र से जुड़ी कंपनी के डिफॉल्ट करने पर मामला रिजर्व बैंक के पास जाता है। कानूनी प्रक्रिया कई सालों तक चलती है और इस बीच निवेशक के पास कोई विकल्प नहीं होता।
इसलिए बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियों के एफडी में निवेश करना बेहतर है, भले ही उसमें ब्याज की दर थोड़ी कम क्यों न हो।कॉरपोरेट एफडी में निवेश के समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए? निवेश से जुड़े इस पुराने सिद्धांत को हमेशा याद रखें- रिटर्न जितना ज्यादा होगा, जोखिम भी उतना ही ज्यादा होगा। इसके अलावा किसी भी कंपनी के लिए बाजार की दर के मुकाबले बहुत ज्यादा ब्याज देना संभव नहीं है। यदि कोई कंपनी बाजार में चल रही ब्याज दर के मुकाबले बहुत ज्यादा ब्याज दर ऑफर कर रही है तो आपको कंपनी के कारोबार और बुनियादी चीजों के बारे में पता लगाना चाहिए। एएए/एए रेटिंग वाली स्कीमें सबसे सुरक्षित मानी जाती हैं। यदि किसी कंपनी के एफडी को रेटिंग नहीं मिली है तो खुद ही कंपनी के कारोबार आदि की जांच करने के बाद उसमें पैसा लगाए।

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