मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली अंजलि सिक्का ने कुछ समय पहले ही शेयर बाजार में निवेश शुरू किया है। अपने निवेश को लेकर उनकी एक शिकायत है कि जब भी वह शेयर खरीदती हैं तो उसके दाम गिरने लगते हैं और ज्यादातर मामलों में उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। उनकी दोस्त विनीता गुप्ता की भी कुछ ऐसी ही कहानी है। इसका बड़ा कारण शेयर को सही दाम पर न खरीदना है। यह केवल इन दोनों दोस्तों के साथ ही नहीं बल्कि निवेश करने वाले बहुत से लोगों के साथ होता है।
शेयर की कीमतों को लेकर 100 फीसदी पक्के तौर पर कुछ भी कहना असंभव है, लेकिन आप कम वैल्यू पर चल रहे शेयर खरीदने के साथ ही अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके शेयरों को बेचकर मुनाफा बना सकते हैं।
ईटी आपको यहां ऐसे कुछ टिप्स या संकेतों के बारे में बता रहा है जो आपको शेयर की वैल्यू बताने में मददगार हो सकते हैं। इनके आधार पर ट्रांजैक्शन करने से पहले यह जान सकते हैं कि शेयर अपनी वैल्यू से कम पर कारोबार कर रहा है या उससे ऊंचा पहुंच गया है।
आमतौर पर शेयरों को तब अंडरवैल्यू माना जाता है जब उनका बाजार मूल्य उनके अनुमानित दाम से कम होता है। शेयर की वैल्यू पता लगाने में प्राइस टू अर्निंग रेशियो (पीई) और प्राइस टू बुक वैल्यू (पीबी) रेशियो का इस्तेमाल किया जाता है। टॉरस एसेट मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर आर के गुप्ता का कहना है, 'शेयर की अनुमानित वैल्यू की गणना पीई और पीबी रेशियो के अलावा डिविडेंड यील्ड जैसी तकनीकों से की जाती है। हालांकि, ये सभी रेशियो केवल शेयर से संबंधित होती हैं। निवेशकों को शेयर की तुलना उसी सेक्टर के अन्य शेयरों और उद्योग के औसत से करनी चाहिए।'
बहुत से जानकार मानते हैं कि अगर कोई शेयर बाजार के पीई से नीचे कारोबार कर रहा है तो उसे खरीदा जा सकता है। इस समय सेंसेक्स का पीई 22 है और अगर कोई शेयर इस स्तर से नीचे कारोबार कर रहा है तो उसे बाजार के मुकाबले सस्ता माना जाएगा। हालांकि, कुछ सेक्टर ऐसे भी हैं जिनमें कंपनियां बाजार से कहीं अधिक ऊंचे या कम पीई पर कारोबार कर रही हैं। उदाहरण के लिए रियल्टी इंडेक्स 39 के पीई पर चल रहा है और बैंकिंग इंडेक्स का पीई केवल 14 है। इसे देखते हुए निवेशकों को अपनी पसंद के शेयर की तुलना उसके सेक्टर की अन्य कंपनियों से करनी चाहिए। अगर दो कंपनियों के फंडामेंटल एक जैसे मजबूत हैं तो कम पीई वाली कंपनी पर दांव लगाना बेहतर हो सकता है।
बजाज कैपिटल के हेड (रिसर्च), आलोक अग्रवाल का कहना है कि निवेशकों को अलग-अलग सेक्टरों के लिए विशेष रेशियो का इस्तेमाल करना चाहिए। उदारहण के लिए रियल एस्टेट कंपनियों के मामले में मार्केट कैप और लैंड बैंक रेशियो देखी जा सकती है। सीमेंट कंपनियों के लिए मार्केट कैप की तुलना टोनेज कैपेसिटी के साथ की जा सकती है। ये रेशियो आपको कंपनियों की सही वैल्यूएशन बता सकती हैं।
शेयर की वैल्यू जानने के अलावा निवेशक शेयर के अंडरवैल्यू होने की स्थिति में उसमें तेजी की संभावना का अनुमान भी लगा सकते हैं, लेकिन ऐसा हो सकता है कि यह तेजी बहुत अधिक न हो। रेलिगेयर कैपिटल मार्केट्स के प्रेसिडेंट (इक्विटी), अमिताभ चक्रवर्ती के अनुसार प्रत्येक सेक्टर के वैल्यूएशन के लिए कुछ बेंचमार्क होना चाहिए। अगर कोई कंपनी उद्योग के औसत पीई या पीबी रेशियो से कम वैल्यू पर है तो यह अंतर समय बीतने के साथ कम हो सकता है।
कई बार शेयर बाजार में कीमत गिरने पर भी कोई शेयर अंडरवैल्यू हो सकता है। यह लघु अवधि के निवेशकों के लिए चिंता की बात होती है, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि कोई भी शेयर बाजार की चाल से अछूता नहीं होता और इसे सिस्टमेटिक रिस्क कहा जाता है। निवेशकों को शेयर में बने रहना चाहिए क्योंकि बाजार के वापस चढ़ने पर शेयर की कीमत भी बढ़ सकती है।
इसी तरह कई बार यह भी देखा जाता है किसी शेयर की वैल्यू ज्यादा होने के बावजूद उसमें तेजी जारी रहती है। इसे देखते हुए किसी अधिक वैल्यू वाले शेयर से बाहर निकलने से पहले निवेशक को कंपनी की भविष्य की योजनाओं की जानकारी हासिल करनी चाहिए। हो सकता है कि किसी अन्य कंपनी द्वारा अधिग्रहण की संभावना की वजह से भी शेयर का दाम बढ़ रहा हो।
कुछ जानकार इस पर अलग राय भी रखते हैं। अग्रवाल का कहना है कि अंडर या ओवर वैल्यू लघु अवधि में शेयर की चाल हमेशा नहीं बता सकती। इसके लिए कंपनी की भविष्य की कारोबारी संभावनाओं को देखना चाहिए। उदाहरण के लिए कुछ कमोडिटी या मेटल शेयर बाजार के मुकाबले में भले ही आकर्षक पीई पर हों लेकिन अगर आने वाले समय में कमोडिटी के दाम गिरने की उम्मीद है तो उन शेयरों के दाम बढ़ने की उम्मीद न के बराबर होगी।
निवेश में सबसे मुश्किल फैसला बेचने के समय का होता है। चक्रवर्ती का कहना है कि अगर शेयर का पीई या पीबी सेक्टर की अन्य कंपनियों के मुकाबले बहुत अधिक हो जाए तो निवेशक को सावधान हो जाना चाहिए। निवेशकों को किसी शेयर को खरीदते समय ही रिटर्न का लक्ष्य तय करना चाहिए।
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